दुबई में उत्तर प्रदेश कम्युनिटी का पहला ऐतिहासिक मिलन समारोह

आज का दिन उत्तर प्रदेश के हर उस दिल के लिए खास रहा, जो अपनी मिट्टी, संस्कृति और विरासत से जुड़े रहना चाहता है क्योंकि आज दुबई में उत्तर प्रदेश कम्युनिटी का पहला मिलन समारोह आयोजित हुआ।
यह आयोजन सिर्फ एक मीटिंग नहीं थी, यह एक संस्कृति का संगम, मूल्यों की पहचान, और एक परिवार की शुरुआत थी। अलग-अलग जिलों से आए उत्तर प्रदेशवासियों ने एक साथ बैठकर न सिर्फ अपने अनुभव साझा किए, बल्कि भविष्य में अपने राज्य की कला, साहित्य, परंपरा और समाज के लिए क्या कुछ किया जा सकता है इस पर भी सार्थक चर्चा हुई।
इस ऐतिहासिक प्रथम मिलन का उद्देश्य था कि हम सब एक मंच पर एकत्र हों, एक-दूसरे को जानें और मिलकर एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाएं जहाँ हमारी जड़ें मज़बूत हों और हमारी पहचान चमके यहाँ, विदेश में भी।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के लोकगीतों, कहावतों, और सांस्कृतिक प्रतीकों को बड़े ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया, जिससे हर किसी को अपने गाँव-घर की मिट्टी की महक महसूस हुई। साथ ही, भविष्य के आयोजनों और सहयोग की रूपरेखा भी तय की गई।
इस मिलन समारोह ने यह साबित कर दिया कि भौगोलिक दूरियाँ कभी दिलों की दूरी नहीं बन सकतीं। उत्तर प्रदेश अब सिर्फ एक राज्य नहीं रहा, बल्कि एक भावना बन गया है जो अब दुबई की धरती पर भी पनपने लगी है।
उत्तर प्रदेश: विरासत और जीवंत परंपराओं की भूमि
संयुक्त अरब अमीरात में उत्तर प्रदेश कम्युनिटी की शुरुआत श्री महेश पांडेय और श्रीमती विदिशा पांडेय द्वारा की गई है, जिसका उद्देश्य यूएई में रहने वाले उत्तर प्रदेशवासियों के बीच संस्कृति, विरासत और एकता को बढ़ावा देना है।
आज यूएई में उत्तर प्रदेश कम्युनिटी की पहली बैठक आयोजित हुई, जिसका केंद्र बिंदु था -उत्तर प्रदेश के कवि और कविता। इस विशेष अवसर पर प्रदेश के प्रसिद्ध कवियों पर चर्चा की गई और उनकी रचनाओं का सजीव पाठ किया गया।
कार्यक्रम का संचालन उत्तर प्रदेश की अपनी देव्यानी औती “रानी “जी और स्नेहा देव जी ने अत्यंत भावपूर्ण और गरिमामय शैली में किया, जिससे पूरे आयोजन में आत्मीयता और गरिमा की अनुभूति हुई।
इस भव्य आयोजन का स्थान रहा “स्थान”रेस्टोरेंट, दुबई, जो उत्तर प्रदेश कम्युनिटी के लिए एक सुंदर, उपयुक्त और स्वागतशील स्थल साबित हुआ।
उत्तर प्रदेश न केवल भारत के हृदयस्थल के रूप में जाना जाता है, बल्कि संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र भी है। यह वह भूमि है जहाँ रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य जीवंत प्रतीत होते हैं; जहाँ काशी के मंत्रोच्चार, अवध की तहज़ीब, बृज की रास-लीला, और बुंदेलखंड की वीरगाथाएँ एक अद्भुत सांस्कृतिक ताना-बाना बुनती हैं।
प्रदेश की प्रसिद्ध लोककलाओं में सांझी कला, चित्रकारी, नक्काशी कढ़ाई, ज़री ज़रदोज़ी, लकड़ी की नक्काशी और चूड़ी निर्माण शामिल हैं, जिन्हें विश्व भर में सराहा जाता है। वहीं, पारंपरिक संगीत और नृत्य शैलियाँ — जैसे कि कथक, बिरहा, कजरी और आल्हा — मनोरंजन के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाती हैं।
उत्तर प्रदेश का हर नगर और गाँव अपनी अनोखी पहचान लिए हुए है — लखनऊ की नवाबी शान, वाराणसी की भक्ति, प्रयागराज की साहित्यिक विरासत, और झाँसी की रानी की वीरता — यह सब मिलकर प्रदेश की आत्मा को संजीवनी देते हैं।
यहाँ की भाषा, वेशभूषा, खानपान, त्यौहार और परंपराएं, सभी में विविधता और गहराई देखने को मिलती है।
आज के आधुनिक युग में, अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करना और भी आवश्यक हो गया है। हमारी लोक परंपराएं और सांस्कृतिक विरासत केवल अतीत की कहानी नहीं हैं, बल्कि भविष्य के लिए एक प्रेरणा हैं।
उत्तर प्रदेश की संस्कृति केवल इतिहास की बात नहीं, बल्कि एक जीवंत पहचान है — जो आज भी हर दिल को छूती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।